संविदाकर्मियों पर गिरी बिजली! नौकरी से हटाए गए हजारों कर्मचारी

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के संविदाकर्मियों को निजीकरण के विरोध में एक बड़ा झटका लगा है। हाल ही में, विभाग ने विभिन्न जिलों से लगभग 1200 संविदा कर्मियों को निकाल दिया है, और कुल 20,000 कर्मचारियों पर नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है। इस घटनाक्रम ने पूरे प्रदेश के बिजली कर्मियों में नाराजगी की लहर पैदा कर दी है।

संविदाकर्मियों की छंटनी के कारण

उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (UP Power Employees Joint Action Committee) का आरोप है कि निजीकरण के नाम पर मनमाने ढंग से संविदाकर्मियों को हटाया जा रहा है। 2019 के एक आदेश के अनुसार, 55 वर्ष की आयु पूरी कर चुके संविदा कर्मियों को निकाला जा रहा है, जो कि समिति के अनुसार पूरी तरह अमानवीय और अन्यायपूर्ण है।

आयु आधारित छंटनी की सच्चाई

संघर्ष समिति का कहना है कि हटाए गए 1200 कर्मियों में से सभी 55 वर्ष के नहीं हैं। इसके अलावा, यह भी आरोप लगाया गया है कि निजीकरण के बाद लगभग 25 प्रतिशत संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है, जिससे पूरे प्रदेश के बिजली विभाग में करीब 20,000 कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।

प्रदर्शन और आगे की योजना

विरोध के तौर पर कर्मचारियों ने कृष्णानगर स्थित हाईडिल कॉलोनी में धरना प्रदर्शन किया। समिति ने 6 फरवरी को मध्यांचल विद्युत निगम एमडी मुख्यालय का घेराव करने की धमकी दी है। उनकी मांग है कि उम्रदराज संविदा कर्मियों को अन्य जिम्मेदारियां सौंपी जाएं।

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FAQ

1. उत्तर प्रदेश में कितने संविदाकर्मियों को निकाला गया है?
लगभग 1200 संविदाकर्मियों को निकाला गया है, और कुल 20,000 कर्मचारियों पर नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है।

2. छंटनी का मुख्य कारण क्या है?
छंटनी का मुख्य कारण निजीकरण बताया जा रहा है, जिसके तहत 55 वर्ष की आयु पूरी कर चुके संविदा कर्मियों को निकाला जा रहा है।

3. कर्मचारी इस स्थिति का विरोध कैसे कर रहे हैं?
कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्होंने मध्यांचल विद्युत निगम के मुख्यालय का घेराव करने की योजना बनाई है।

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