🚆 रेलवे स्टेशनों के बदले नाम: उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के इन स्टेशनों का हुआ नाम परिवर्तन!
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भारत में कई Railway Stations के नाम बदल दिए गए हैं! खासतौर पर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में कई स्टेशनों के नाम बदले गए हैं। जानें, नाम परिवर्तन के पीछे की वजह, नई लिस्ट और सरकारी प्रक्रिया की पूरी जानकारी!
🔹 रेलवे स्टेशनों के नाम क्यों बदले जाते हैं?
✅ स्थानीय संस्कृति और इतिहास को बढ़ावा देने के लिए।
✅ स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों के सम्मान में।
✅ धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाने के लिए।
✅ स्थानीय जनता की मांग और पहचान को मजबूत करने के लिए।
📜 रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की प्रक्रिया
1️⃣ राज्य सरकार नाम बदलने का प्रस्ताव तैयार करती है।
2️⃣ गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय से अनुमोदन लिया जाता है।
3️⃣ NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेना आवश्यक होता है।
4️⃣ नया नाम हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में दर्ज किया जाता है।
🚉 उत्तर प्रदेश में बदले गए रेलवे स्टेशन के नाम
- कासिमपुर हॉल्ट → जायस सिटी
- जायस → गुरु गोरखनाथ धाम
- मिसरौली → मां कालिकन धाम
- बानी → स्वामी परमहंस
- निहालगढ़ → महाराजा बिजली पासी
- अकबरगंज → मां अहोरवा भवानी धाम
- वजीरगंज हॉल्ट → अमर शहीद भाले सुल्तान
- फुरसतगंज → तपेश्वरनाथ धाम
🚆 मुंबई में बदले गए रेलवे स्टेशन के नाम
- करी रोड → लालबाग
- सैंडहर्स्ट रोड → डोंगरी
- मरीन लाइंस → मुंबा देवी
- चर्नी रोड → गिरगांव
- कॉटन ग्रीन → कलाचौकी
- डॉकयार्ड रोड → मझगांव
- किंग्स सर्कल → तीर्थंकर पार्श्वनाथ
📌 FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1: रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने में कितना समय लगता है?
👉 यह प्रक्रिया कई महीनों तक चल सकती है, क्योंकि इसमें सरकारी मंजूरी और कानूनी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।
Q2: रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए कौन-कौन से विभाग जिम्मेदार होते हैं?
👉 इसमें राज्य सरकार, गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन की भूमिका होती है।
Q3: रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने के बाद यात्रियों को कोई परेशानी होती है?
👉 शुरुआत में यात्रियों को नए नामों की आदत डालने में समय लग सकता है, लेकिन रेलवे द्वारा नए नामों को प्रचारित किया जाता है ताकि कोई असमंजस न हो।