वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे का निर्माण बिहार के गया, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर जिलों के विकास में महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण और वन मंजूरी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, और इसे 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस एक्सप्रेसवे के बनने से वाराणसी से कोलकाता की यात्रा का समय मौजूदा 15 घंटे से घटकर केवल 9 घंटे रह जाएगा, जो कि न केवल तेज यात्रा का वादा करता है, बल्कि इन जिलों के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
परियोजना की कुल लंबाई और लागत
वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 610 किलोमीटर होगी, और इसका निर्माण लगभग 35,000 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। इसका करीब 160 किलोमीटर हिस्सा बिहार से गुजरेगा, जो उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की सीमा पर स्थित चांद से बिहार में प्रवेश करेगा और गया के इमामगंज में समाप्त होगा। केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रही हैं।
कैमूर पहाड़ियों में बनेगी सुरंग
इस एक्सप्रेसवे का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा कैमूर पहाड़ियों में पांच किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण होगा। यह तकनीकी रूप से उन्नत सुरंग पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना बनाई जाएगी। इसके अलावा, सासाराम के तिलौथू में सोन नदी पर एक बड़ा पुल भी बनाया जाएगा।
पर्यावरणीय मंजूरी ने दी रफ्तार
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा हालिया संशोधनों के कारण इस परियोजना को वन मंजूरी की प्रक्रिया में तेजी मिली है। वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम 1980 में संशोधन से इस तरह की परियोजनाओं को जल्दी मंजूरी मिल रही है।
व्यापार और उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
इस एक्सप्रेसवे से गया, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर जैसे जिलों में व्यापार और उद्योग को नई ऊंचाई मिलेगी। स्थानीय किसानों और व्यापारियों को अपने उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाने में आसानी होगी, जिससे उनके मुनाफे में इजाफा होगा।
पर्यटन और रोजगार के नए अवसर
वाराणसी और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से सीधी कनेक्टिविटी मिलने से इन जिलों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे स्थानीय स्तर पर होटलों, रेस्तरां और गाइड सेवाओं की मांग बढ़ेगी। इसके अलावा, निर्माण कार्य के दौरान रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
प्रमुख विशेषताएं
- कुल लंबाई: 610 किमी
- लागत: करीब 35 हजार करोड़ रुपये
- बिहार में लंबाई: 160 किमी
- प्रवेश बिंदु: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले से
- निकास बिंदु: गया के इमामगंज
FAQs
1. वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे का निर्माण कब पूरा होगा?
इस परियोजना का निर्माण 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।2. एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई कितनी होगी?
वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 610 किलोमीटर होगी।3. इस एक्सप्रेसवे से किन क्षेत्रों को लाभ होगा?
यह एक्सप्रेसवे गया, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर जिलों में व्यापार, उद्योग, पर्यटन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देगा।